*दिल*
किसी ने की दिल्लगी,किसी का दिल लग गया!!
कोई दिल लगाता रहा,कोई दिल को ठग गया ।।
किसी ने संगदिल से दिल ही दिल में कह दिया।
ना शुक्रा है ऐ दिल तू दिल मेरा तुझसे लग गया ।
पहचान भी ले जज्बाते दिल दिल को थोड़ी वफ़ा मिले ।
संगदिल ना बन ऐ यार पिघल दर्दे दिल को दवा मिले ।
ओ पत्थर दिल ओ बेपरवाह मान जा अब मान जा ।
तेरे दिल से होकर ही जाता है मेरे दिल का हर रास्ता।
क्या करें कैसे समझाएं है दिल का नाज़ुक मामला ।
दिल तुझसे केवल तुझसे ही रखना चाहे वास्ता ।
ऐ यार हसीं सूरत भी दिखा दिल में आकर बैठ जा ।
दिल में बसाकर आशियाना इस दिल पर हुक्म जता ।
कह कुछ अपनी सुन कुछ मेरी दिल की हसीं दास्तां।
बन जाने दे दिल प्रेम का दरिया बढ़ने दें नजदीकियांँ ।
बहुत हुई तेरी दिल्लगी अब और ना दिल को सता ।
मर जायें न जज़्बात दिल के वक्त रहते समझ जा ।
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत
( 27 सितंबर 2024 )
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