राजस्थानी भाषा मे कविता
मां बाऊजी
आ उम्र छोटी । थारे संग रेणा मे।
रोती हूं हँसना सिखावयो क्यू।
मां बाऊजी आ चुनर घणी भारी। इको इलाज बतावो नी।
आ सरक सरक ने नीचे आवे।
ज्यू मै दौड़ दौड़ गोदी मे आई।
मां बाऊजी आ चुनर मारे माथे क्यू लाई।
सूरज चाँद ढल गया बाऊजी।
हुई पराई जाऊ सासरिया जी।
थाकी ओळू आवे मां बाऊजी । घूंघटिया वाळे मकाना मू , सासरिया रि आवाज खावे मारा बाऊजी।
छोरी छोरी कैइ न है लो मारता बाऊजी, छम छम करति लोटो कुण लाइ बाऊजी।
आडा रि ओट सू पिवरिया री आवाज सुणनी छाहू मारा बाऊजी।
थाकी लाड़ली णे मत मे लो सासरिये। मां बाऊजी ।।
©PoetDileep
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