रात बड़ी अच्छी लगती थी
मेरे ढंग से चलती थी
सो जाता था नीद सुकून की
या मेरे संग जागती थी
अभी भी जागती है नीदे
पर साथ नहीं मेरे जगती
मैं अपने कोने में जगता
वो अपने में ही अब रहती
राते जो सुकून दिया करती थी
अब वो भी नहीं सहज रहती
दिन के साथ साथ अब तो
राते भी परेशान किया करती।।
©Vimal Gupta
#CityWinter Anshu writer NIDHI Amita Tiwari Shira IshQपरस्त