घूँघट में इक चाँद , उस सर्द रात मुझे अपना होश नहीं | हिंदी Shayari

"घूँघट में इक चाँद , उस सर्द रात मुझे अपना होश नहीं ! वो हुस्न वो नजाकत वो सादगी  तौबा सांसें भी बस में नहीं !!"

 घूँघट में इक चाँद , उस सर्द रात
मुझे अपना होश नहीं !
वो हुस्न वो नजाकत वो सादगी 
तौबा सांसें भी बस में नहीं !!

घूँघट में इक चाँद , उस सर्द रात मुझे अपना होश नहीं ! वो हुस्न वो नजाकत वो सादगी  तौबा सांसें भी बस में नहीं !!

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