सपना पता नहीं चलता है कैसे कट जाती है रात सुबह भू | हिंदी कविता

"सपना पता नहीं चलता है कैसे कट जाती है रात सुबह भूल जातें हैं हम सपनों की बात लेकिन कुछ सपनों को भूल नहीं पाते हम दिन भर करते याद मन में दुहराते हम चले गए दुनिया से दूर बहुत जो अपने हमें मिला देते हैं उन अपनों को सपने कभी डराते हमको कभी बांटते खुशियाँ कभी रुलाते जी भर थक जाती हैं अँखियाँ जो कुछ खो देते हम या फिर जो कुछ पाते बेखुद सब मिट जाता जब हम हैं उठ जाते ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 सपना

पता नहीं चलता है कैसे
कट जाती है रात
सुबह भूल जातें हैं
हम सपनों की बात

लेकिन कुछ सपनों को
भूल नहीं पाते हम
दिन भर करते याद
मन में दुहराते हम

चले गए दुनिया से
दूर बहुत जो अपने
हमें मिला देते हैं
उन अपनों को सपने

कभी डराते हमको
कभी बांटते खुशियाँ
कभी रुलाते जी भर
थक जाती हैं अँखियाँ

जो कुछ खो देते हम
या फिर जो कुछ पाते
बेखुद सब मिट जाता
जब हम हैं उठ जाते

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

सपना पता नहीं चलता है कैसे कट जाती है रात सुबह भूल जातें हैं हम सपनों की बात लेकिन कुछ सपनों को भूल नहीं पाते हम दिन भर करते याद मन में दुहराते हम चले गए दुनिया से दूर बहुत जो अपने हमें मिला देते हैं उन अपनों को सपने कभी डराते हमको कभी बांटते खुशियाँ कभी रुलाते जी भर थक जाती हैं अँखियाँ जो कुछ खो देते हम या फिर जो कुछ पाते बेखुद सब मिट जाता जब हम हैं उठ जाते ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#dreaming

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