बढ़ रही है दहेज़ की प्रथा रूढ़िवादी सोच की है | हिंदी कविता

"बढ़ रही है दहेज़ की प्रथा रूढ़िवादी सोच की है ये कथा जलाया जा रहा है लड़कियों को ऐसे लोगो को ज़रा पकड़िये तो कंगाल हो गए लड़की के माँ -बाप फिर भी खत्म नहीं हुई दहेज़ की आग रुपये ,गहने ,गाड़ियां देकर क्या पाये लड़की के माँ-बाप उन्होंने भेज दी लड़की की लाश जीवन से हो गए हताश बढ़ता जा रहा है दहेज़ का लोभ एक से नहीं मिला ,तो दूसरे से ले रहे भोग डालो ऐसे लोगो को जेल मे जो रहे दहेज़ के महल मे तभी कहलायेगा भारत सोने की चिड़ियाँ जिसमे बसती थी खुशिया ही खुशिया"

 बढ़  रही  है  दहेज़  की  प्रथा
रूढ़िवादी  सोच  की  है  ये  कथा
जलाया  जा  रहा है  लड़कियों  को
ऐसे  लोगो  को  ज़रा  पकड़िये  तो
कंगाल  हो  गए  लड़की  के  माँ -बाप
फिर  भी  खत्म  नहीं  हुई  दहेज़  की  आग
रुपये ,गहने ,गाड़ियां  देकर
क्या  पाये  लड़की  के  माँ-बाप
उन्होंने  भेज दी  लड़की  की  लाश
जीवन से  हो  गए  हताश
बढ़ता  जा  रहा  है  दहेज़  का  लोभ
एक  से  नहीं मिला ,तो  दूसरे  से  ले रहे  भोग
डालो  ऐसे  लोगो  को  जेल  मे
जो रहे  दहेज़  के  महल  मे
तभी कहलायेगा  भारत  सोने  की  चिड़ियाँ
जिसमे  बसती  थी  खुशिया  ही  खुशिया

बढ़ रही है दहेज़ की प्रथा रूढ़िवादी सोच की है ये कथा जलाया जा रहा है लड़कियों को ऐसे लोगो को ज़रा पकड़िये तो कंगाल हो गए लड़की के माँ -बाप फिर भी खत्म नहीं हुई दहेज़ की आग रुपये ,गहने ,गाड़ियां देकर क्या पाये लड़की के माँ-बाप उन्होंने भेज दी लड़की की लाश जीवन से हो गए हताश बढ़ता जा रहा है दहेज़ का लोभ एक से नहीं मिला ,तो दूसरे से ले रहे भोग डालो ऐसे लोगो को जेल मे जो रहे दहेज़ के महल मे तभी कहलायेगा भारत सोने की चिड़ियाँ जिसमे बसती थी खुशिया ही खुशिया

my 8 class poem on dowry

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