वो शाम ........
तेरे साथ समय हमेशा ही सुहाना रहा
वक्त ने कभी हमारी सुनी
कभी ये वक्त आपका दीवाना रहा
यूं साथ चलते चलते ,हम आधा सफर तय कर गए
साथ हंसते रोते कई मुसीबतों से लड़ गए
यूं चलते चलते ,संभालते संभलते
एक मोड़ पर जब नजर टिकी
समय के पहिए को रोक कुदरत को निहारा था
हां याद है मुझे ,उस दिन उस शाम ने हमें पुकारा था
तुम्हारी गिटार की धुन ने ढलते सूरज से नजर मिलाई थी
हां याद है मुझे ,उन गीतों के बोल ,जिन्हे सुन आंखें मेरी भर आई थी
अब उस शाम का फिर से इंतजार है
किसी दिन ,फिर किसी मोड़ पर दो पंक्तियां गुनगुनाएंगे
साथ फिर बैठकर प्यारे पुराने किस्से दोहरायेगें ।
इंतजार है...............…....
©Rinita Indwar
वो शाम