White एक पत्थर झरने की भावनाओं में डूब जाना चाहता है।
मगर अफसोस वो हर बार उसे भिगो कर चली जाती है।
खेल यह नदियों से चला आ रहा है ,
और बहाव सदियों से चला आ रहा है ,
एक उम्मीद लिए वो पत्थर घाट बन जाते हैं,
किसी के चाहत की बात बन जाते हैं,।
पुनः उन घाटों पर कई उम्मीदें जन्म लेती हैं।
किनारा नदी का देख सहारा लेती हैं।
हर कोई उन उम्मीदों पर बैठ नज़ारा लेता है
मगर वह घाट सब कुछ देखकर भी मौन है
उसे पता है आज के तो सब मगर कल का कौन है
बाहर की दुनियां बाहर से सुंदर है,
जाकर भीतर देख गहरा समुंदर है।
दूसरों से पहले खुद को जानो तुम।
यह बात पुरानी है बात तो मानो तुम
Aakash dwivedi ✍️
©Aakash Dwivedi
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