"White तन्हा नहीं होता वो इंसान सफ़र में
जो रहता है हर पल अपनी यादों के घर मे
बस पहचान थी चेहरे से सबकी यहाँ
कौन होता हैं अपना इस अनजान शहर मे
किस को लगाता मैं आवाज हक से
ऐसा कोई नहीं था मेरी नजर मे
जो अपना लगा वो भी कहीं पराया था
मैं रहा रोज बेवजह जिसके असर में
उम्र सारी एक तलाश मे गुजर जाती है
मिलता नहीं कोई एक जिन्दगी की रहगुजर मे
©Ravikant Dushe"