White वो नयन नयन के दर्पण में इक मिल जाने की रीत | English Poetry

"White वो नयन नयन के दर्पण में इक मिल जाने की रीति जैसी पायल बिछिया गजरा काजल श्रृंगार छंद में लिक्खी जैसी मैं अरक के अर्चन में चाहूँ ए करवा चौथ के चंदा के सूरज भोर सिंदुरी हो और रात चाँद की टिकी जैसी।। ©Rajani Mundhra"

 White  वो नयन नयन के दर्पण में इक  मिल जाने की रीति जैसी 
पायल बिछिया गजरा काजल श्रृंगार छंद में लिक्खी जैसी
मैं अरक के अर्चन में चाहूँ ए करवा चौथ के चंदा
के सूरज भोर सिंदुरी हो और रात चाँद की टिकी जैसी।।

©Rajani Mundhra

White वो नयन नयन के दर्पण में इक मिल जाने की रीति जैसी पायल बिछिया गजरा काजल श्रृंगार छंद में लिक्खी जैसी मैं अरक के अर्चन में चाहूँ ए करवा चौथ के चंदा के सूरज भोर सिंदुरी हो और रात चाँद की टिकी जैसी।। ©Rajani Mundhra

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