दिल के अरमा किसे सुनायें हम
जाने किसकी नज़र में आयें हम
दिल में उनके ही घर बना बैठे
और कितने करीब आयें हम
साँझ दुल्हन बनी किसी के लिये
क्यूँ सितारे जमीं पे लायें हम
रो रहा आज तो समंदर भी
प्यास अपनी कहाँ बुझायें हम
एक मुद्द्त से वो नहीं आये
जिनको पलकों तले सजायें हम
ये सिला है तेरी मोहब्बत का
अपनी नजरों में ही न आयें हम
जल रहे हैं तुम्हारी यादों में
अश्क़ से आग ये बुझायें हम
©अज्ञात
#Dil__ki__Aawaz