पागल कौन है, आज जरा फिर से सोचते हैं, वो, जिसको ख | English Poetry

"पागल कौन है, आज जरा फिर से सोचते हैं, वो, जिसको खुश रहने के लिए, अब किसी और जरूरत नहीं, या हम, जो हर दूसरी चीज के लिए रोते हैं, वो, जिसको न फिकर हैं कल की, न अफसोस है कल का, या हम, जो हर बात की गांठ बना के बैठें हैं... अरे वो, रमता जोगी, मस्त मलंग सा, रहता अपनी मस्ती में, या हम, देख पराया, न देखे अपना, अपनो से कुढ़ते रहते हैं, पागल कौन है, आज जरा फिर से सोचते हैं, ©Betu Bindass"

 पागल कौन है, आज जरा फिर से सोचते हैं,

वो, जिसको खुश रहने के लिए, अब किसी और जरूरत नहीं,
या हम, जो हर दूसरी चीज के लिए रोते हैं,
वो, जिसको न फिकर हैं कल की, न अफसोस है कल का,
या हम, जो हर बात की गांठ बना के बैठें हैं...
अरे वो, रमता जोगी, मस्त मलंग सा, रहता अपनी मस्ती में, 
या हम, देख पराया, न देखे अपना, अपनो से कुढ़ते रहते हैं,

पागल कौन है, आज जरा फिर से सोचते हैं,

©Betu Bindass

पागल कौन है, आज जरा फिर से सोचते हैं, वो, जिसको खुश रहने के लिए, अब किसी और जरूरत नहीं, या हम, जो हर दूसरी चीज के लिए रोते हैं, वो, जिसको न फिकर हैं कल की, न अफसोस है कल का, या हम, जो हर बात की गांठ बना के बैठें हैं... अरे वो, रमता जोगी, मस्त मलंग सा, रहता अपनी मस्ती में, या हम, देख पराया, न देखे अपना, अपनो से कुढ़ते रहते हैं, पागल कौन है, आज जरा फिर से सोचते हैं, ©Betu Bindass

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