उसे पाना कोई जीद नहीं क्योकि वो कोई चीज नहीं रब का | हिंदी शायरी
"उसे पाना कोई जीद नहीं
क्योकि वो कोई चीज नहीं
रब का नायाब तराशा हुआ हीरा है वो
लाखों करोड़ों में तो क्या
उस जेैसा तो पुरी दुनिया में ओर कोई नहीं
हम समझते थे जिसे अपना यार
एक टूटा हुआ शीशा था वो
इससे ज्यादा ओर कुछ नहीं"
उसे पाना कोई जीद नहीं
क्योकि वो कोई चीज नहीं
रब का नायाब तराशा हुआ हीरा है वो
लाखों करोड़ों में तो क्या
उस जेैसा तो पुरी दुनिया में ओर कोई नहीं
हम समझते थे जिसे अपना यार
एक टूटा हुआ शीशा था वो
इससे ज्यादा ओर कुछ नहीं