White आकाश दूर से जो देखता है कहता बहुत मनो | हिंदी कविता

"White आकाश दूर से जो देखता है कहता बहुत मनोहर चाहता छूना उसे लेकिन बहुत ही दुष्कर चाहता है सैर करना खेलना तारों के संग चाँद को बाँहों में लेना दूरियों से लड़के जंग फिर भी है आकाश कहता मुझसे अच्छी है धरा प्राण है उसके बदन में वस्त्र पहने है हरा साँस दे सकता न बेखुद पेट भर सकता नहीं गोद में आकर मेरे जीवन ठहर सकता नहीं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 White       आकाश
 दूर से जो देखता है
कहता बहुत मनोहर
चाहता छूना उसे
लेकिन बहुत ही दुष्कर

चाहता है सैर करना
खेलना तारों के संग
चाँद को बाँहों में लेना
दूरियों से लड़के जंग

फिर भी है आकाश कहता
मुझसे अच्छी है धरा
प्राण है उसके बदन में
वस्त्र पहने है हरा

साँस दे सकता न बेखुद
पेट भर सकता नहीं
गोद में आकर मेरे
जीवन ठहर सकता नहीं

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

White आकाश दूर से जो देखता है कहता बहुत मनोहर चाहता छूना उसे लेकिन बहुत ही दुष्कर चाहता है सैर करना खेलना तारों के संग चाँद को बाँहों में लेना दूरियों से लड़के जंग फिर भी है आकाश कहता मुझसे अच्छी है धरा प्राण है उसके बदन में वस्त्र पहने है हरा साँस दे सकता न बेखुद पेट भर सकता नहीं गोद में आकर मेरे जीवन ठहर सकता नहीं ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#आकाश

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