जिस रस्ते से गुजरे तुम वो अच्छे लगते हैं
अब तो वो झूठी बाते भी सच्चे लगते हैं
एक नजर जो देखा तुमको क्या मिल जाता था
कैसे हम बतलाये तुमको दिल खिल जाता था
लोग तो कहते है कि हम बच्चे लगते हैं
अब तो वो झूठी बातें भी सच्चे लगते हैं।।
कैसे दिन था गुजरा अपना कैसे बीती राते
बाट जोहते रहते थे हम कैसे होगी बातें
सोच सोच कर तुमको हम तो हंसने लगते हैं
अब तो वो झूठी बातें भी सच्चे लगते हैं
खामोशी की चादर ओढ़े हम तुम रहते थे
नजरे कह देती थी सब और दिल की सुनते थे
चाँद को देखा और कह डाला हम कैसे लगते हैं
अब तो वो झूठी बातें भी सच्चे लगते हैं
©संजय श्रीवास्तव
#VantinesDay