White आंखों से ख्वाब के रिश्ते नही रहे
यानी के मेरा ख़्वाब अधूरा ही रह गया
रिश्तों को उम्र भर जो सदा तोड़ता रहा
अंजाम ये हुआ के वो अकेला ही रह गया
आंखो का मेरी कोई तो अब तजकिरा करो
आंखों का मेरे इश्क अधुरा ही रह गया
ऐसा नहीं के खत मैं कभी लिख नही सका
इंकार जब मिला तो खत अधूरा ही रह गया
अंजाम मेरी मोहब्बत का अब देखिए जनाब
किताबो में मेरी फूल बस सूखा ही रह गया
तोहमत अब उसको दे के भी फायदा है क्या
किस्मत का तारा जब मेरी डूबा ही रह गया
मोहब्बत का रंग मेरी चढ़ता भी क्यूं भला
हर रंग मेरी मोहब्बत जब फीका ही रह गया
©Shoheb alam shayar jaipuri
#sad_shayari 'दर्द भरी शायरी'