White आंखों से ख्वाब के रिश्ते नही रहे यानी के मेर | हिंदी शायरी

"White आंखों से ख्वाब के रिश्ते नही रहे यानी के मेरा ख़्वाब अधूरा ही रह गया रिश्तों को उम्र भर जो सदा तोड़ता रहा अंजाम ये हुआ के वो अकेला ही रह गया आंखो का मेरी कोई तो अब तजकिरा करो आंखों का मेरे इश्क अधुरा ही रह गया ऐसा नहीं के खत मैं कभी लिख नही सका इंकार जब मिला तो खत अधूरा ही रह गया अंजाम मेरी मोहब्बत का अब देखिए जनाब किताबो में मेरी फूल बस सूखा ही रह गया तोहमत अब उसको दे के भी फायदा है क्या किस्मत का तारा जब मेरी डूबा ही रह गया मोहब्बत का रंग मेरी चढ़ता भी क्यूं भला हर रंग मेरी मोहब्बत जब फीका ही रह गया ©Shoheb alam shayar jaipuri"

 White आंखों से ख्वाब के रिश्ते नही रहे
यानी के मेरा ख़्वाब अधूरा ही रह गया

रिश्तों को उम्र भर जो सदा तोड़ता रहा
अंजाम ये हुआ के वो अकेला ही रह गया

आंखो का मेरी कोई तो अब तजकिरा करो
आंखों का मेरे इश्क अधुरा ही रह गया

ऐसा नहीं के खत मैं कभी लिख नही सका
इंकार जब मिला तो खत अधूरा ही रह गया

अंजाम मेरी मोहब्बत का अब देखिए जनाब
किताबो में मेरी फूल बस सूखा ही रह गया

तोहमत अब उसको दे के भी फायदा है क्या
किस्मत का तारा जब मेरी डूबा ही रह गया

मोहब्बत का रंग मेरी चढ़ता भी क्यूं भला
हर रंग मेरी मोहब्बत जब फीका ही रह गया

©Shoheb alam shayar jaipuri

White आंखों से ख्वाब के रिश्ते नही रहे यानी के मेरा ख़्वाब अधूरा ही रह गया रिश्तों को उम्र भर जो सदा तोड़ता रहा अंजाम ये हुआ के वो अकेला ही रह गया आंखो का मेरी कोई तो अब तजकिरा करो आंखों का मेरे इश्क अधुरा ही रह गया ऐसा नहीं के खत मैं कभी लिख नही सका इंकार जब मिला तो खत अधूरा ही रह गया अंजाम मेरी मोहब्बत का अब देखिए जनाब किताबो में मेरी फूल बस सूखा ही रह गया तोहमत अब उसको दे के भी फायदा है क्या किस्मत का तारा जब मेरी डूबा ही रह गया मोहब्बत का रंग मेरी चढ़ता भी क्यूं भला हर रंग मेरी मोहब्बत जब फीका ही रह गया ©Shoheb alam shayar jaipuri

#sad_shayari 'दर्द भरी शायरी'

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