White दहकता पिघलता धीरे धीरे आगे बढ़ता, आख़िर ख़ामोशीयों के शहर में कितना ठहरता... नहीं आ रहा रास बंजारापन मग़र, मैं कब, कैसे, आख़िर किसकी छाती से लग कर खूब रोता... #मानस ©Manas Krishna #Sad_shayri Quotes, Shayari, Story, Poem, Jokes, Memes On Nojoto