जिंदगी की बाजार में खुद को खोया
लेन देन करते करते
कब समय बीत गया पता ही नहीं चला....
अब शाम हुआ तो याद आया
मुझे किसी भी तरह अपना घर जाना..
सामने अन्घेरा थी तो रास्ता नजर नहीं आया
दिल में घबराहत ओर आखों में आँसु आ गया
चुपचाप बैठी रही...हर तरफ उदासी छा गया...
अचानक किसी ने एक प्यार भरा हाथ
मेरे सर पर रखा...
बीति भुली बात मुझे सब याद आया....
एक सच्ची राह सामने नजर आया
अब चल रही हुं उसी राह पर...
अब नहीं है मुझे किसी बुराईयोँ का डर...
©Dipanjali Das
#coldwinter