White काश मेरी यादाश्त भी कभी किसी दिन, कहीं लम् | English Shayari

"White काश मेरी यादाश्त भी कभी किसी दिन, कहीं लम्बी छुट्टी पर चली जाती.. दिल की अलमारी में रक्खे मेरे सवालों वाले किताब में, तुम्हारे लिखे सारे सहेजे ख़त जवाबी भी साथ ले जाती.. वो ख़ूबसूरत शामे जो गुज़री साथ तुम्हारे, उन शामों की तमाम बेताबी भी साथ ले जाती.. दरख़्तों से छनकर घर के आंगन में गिरते जाड़ों के धूप जो चखते थे हम तुम, उस मिठास को भी सारी की सारी साथ ले जाती.. वो शफा़क़ सुबह कि जिसमें चाय की चुस्कियां होती थी साथ, अब जो तुम साथ नहीं तो सारी उदासी साथ ले जाती.. काश ढूंढते-ढूंढते मेरा पता, याददाश्त मेरी कभी किसी दिन लंबी छुट्टी पर जाने के बाद यूं कहीं लापता हो जाती.. ©Chanchal Chaturvedi"

 White  काश मेरी यादाश्त भी कभी किसी दिन, 
कहीं लम्बी छुट्टी पर चली जाती..
दिल की अलमारी में रक्खे मेरे 
सवालों वाले किताब में,
तुम्हारे लिखे सारे सहेजे ख़त जवाबी 
भी साथ ले जाती..
वो ख़ूबसूरत शामे जो गुज़री साथ तुम्हारे,
उन शामों की तमाम बेताबी भी साथ ले जाती..
दरख़्तों से छनकर घर के आंगन में 
गिरते जाड़ों के धूप जो चखते थे हम तुम, 
उस मिठास को भी सारी की सारी साथ ले जाती..
वो शफा़क़ सुबह कि जिसमें चाय 
की चुस्कियां होती थी साथ, 
अब जो तुम साथ नहीं तो सारी 
उदासी साथ ले जाती..
काश ढूंढते-ढूंढते मेरा पता,
याददाश्त मेरी कभी किसी दिन लंबी छुट्टी 
पर जाने के बाद यूं कहीं लापता हो जाती..

©Chanchal Chaturvedi

White काश मेरी यादाश्त भी कभी किसी दिन, कहीं लम्बी छुट्टी पर चली जाती.. दिल की अलमारी में रक्खे मेरे सवालों वाले किताब में, तुम्हारे लिखे सारे सहेजे ख़त जवाबी भी साथ ले जाती.. वो ख़ूबसूरत शामे जो गुज़री साथ तुम्हारे, उन शामों की तमाम बेताबी भी साथ ले जाती.. दरख़्तों से छनकर घर के आंगन में गिरते जाड़ों के धूप जो चखते थे हम तुम, उस मिठास को भी सारी की सारी साथ ले जाती.. वो शफा़क़ सुबह कि जिसमें चाय की चुस्कियां होती थी साथ, अब जो तुम साथ नहीं तो सारी उदासी साथ ले जाती.. काश ढूंढते-ढूंढते मेरा पता, याददाश्त मेरी कभी किसी दिन लंबी छुट्टी पर जाने के बाद यूं कहीं लापता हो जाती.. ©Chanchal Chaturvedi

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