"आज मैं एक ऐसी जगह पर गया
जहाँ न किसी के कदमों के निशान थे ,
ना हीं किसी के होने का एहसास था
बस सुकुन सा मिल रहा था ...
न कोई खुशी के अंश थे ,
ना ही कोई भाव का लहर था।
बङा वक्त लगा मुझे समझने में
की वो ख़ामोशियों का शहर था ।।"
आज मैं एक ऐसी जगह पर गया
जहाँ न किसी के कदमों के निशान थे ,
ना हीं किसी के होने का एहसास था
बस सुकुन सा मिल रहा था ...
न कोई खुशी के अंश थे ,
ना ही कोई भाव का लहर था।
बङा वक्त लगा मुझे समझने में
की वो ख़ामोशियों का शहर था ।।