रूठते तुम जब भी हमसे हंसकर तुम्हें मना लेते,
सारी खुशियां तुम्हारे कदमों में बिछा देते,
कोई चुरा ना ले तुम्हें हमसे अपनी पलकों में छुपा लेते,
एक बार इजहार तो करते अपनी मोहब्बत
का, हम तो तुम्हें भीड़ में भी कसकर गले लगा लेते हैं।
©Pradeep Kumar
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