इत्तेफाक कहुं या विधी लिखीत समझू
माॅं से बिछडकर आपसे मिलना इसे मै क्या कहुं।
किस्मत ने मिलाया हमको या माॅं ने आपको
भेजा आपको , आपसे मिलना इसे मै क्या कहुं।
मन करता हे माॅं से बातचीत करने का पर
आप तो मेरे ही माॅं का रुप हो क्या मै यह समझू।
नहीं होती माॅं से बात तो मै
मायुस सा रहने लगता हु
वहीं दो जन्म दीन , वहीं शिक्षक का रुप
वहीं बच्चों से प्यार क्या मै इसे समानता कहुं..?
उचित अनुचित मुझे ना पता दीदी तो हो ही
आप मेरे पर कभी मन करे तो आपको माॅं कहुं...?
©Manthan's_kalam
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