Unsplash ग़म और भी है मगर खुलासा कौन करे
हर बात में मुस्कुरा देता हूं तमाशा कौन करे
हर ज़ख़्म को दिया है चुपी का नाम मैंने
बेवजह दर्द अपना किसी से साझा कौन करे
जो दिल में चुभते हो सवालात शब भर
उनपे सहर के गुनाहों का इशारा कौन करे
जिन राहों पर उजालों का डर समाया हो
उनमें अंधेरों के खौफ को नुमाया कौन करे
तक़दीर जब लिखी है सियाही से बेरंग हीं
फिर ख़्वाब के सुरज का दिखावा कौन करे
जो लोग ख़ुद सौदाई हो, ग़फ़लत के बाजारों का
उनसे यार ए वफ़ा का अब दावा कौन करे
राजीव
©samandar Speaks
#library अंजान @Satyaprem Upadhyay @Radhey Ray @Poonam bagadia "punit" @Internet Jockey