स्पष्टवादी लेखनशैली से हो
या भाषाशैली से।
तोड़ने वाले "कथन" और "वाच्य" को
किस तरह बयां करते हैं।
और समझाने वाले भावार्थ को
समझाने में असमंजस में पड़ाते हैं।
अद्वितीय दिमाग़ का प्रारम्भ या जन्म
इसी अवस्था से होता है।
जहां इंसान आंख और कान
के आधार पर ना कोई निर्णय
ना कोई फ़ैसला सुनाता है।
©#suman singh rajpoot
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