Unsplash मुकम्मल जहां मे इस्क ढूंढते हो बरे बदकिस् | हिंदी Poetry

"Unsplash मुकम्मल जहां मे इस्क ढूंढते हो बरे बदकिस्मत हो शानू तुम तो खुले आसमान में बिना महखानो के झुमते हो ये बात अलग है की पाक मोहब्बत बनाई खुदा ने लेकिन हुई किस से उसी इंसान से जो झोपरो में रह के माहलो का ख़्वाब देखते हैं ©Dr kumar Shanu"

 Unsplash मुकम्मल जहां मे इस्क ढूंढते हो
बरे बदकिस्मत हो शानू
तुम तो खुले आसमान में
बिना महखानो के झुमते हो

ये बात अलग है की
पाक मोहब्बत बनाई खुदा ने
लेकिन हुई किस से उसी इंसान से
जो झोपरो में रह के
माहलो का ख़्वाब देखते हैं

©Dr kumar Shanu

Unsplash मुकम्मल जहां मे इस्क ढूंढते हो बरे बदकिस्मत हो शानू तुम तो खुले आसमान में बिना महखानो के झुमते हो ये बात अलग है की पाक मोहब्बत बनाई खुदा ने लेकिन हुई किस से उसी इंसान से जो झोपरो में रह के माहलो का ख़्वाब देखते हैं ©Dr kumar Shanu

#traveling #drksy

People who shared love close

More like this

Trending Topic