पलटती हूं पन्ने तेरे ख्वाबों के, जैसे हर ख़्वाब ते | हिंदी कविता

"पलटती हूं पन्ने तेरे ख्वाबों के, जैसे हर ख़्वाब तेरा हो। पढ़ती हूं बस वही आंखें, जिसमें चेहरा सिर्फ़ मेरा हो। ......... ©आधुनिक कवयित्री"

 पलटती हूं पन्ने तेरे ख्वाबों के,
जैसे हर ख़्वाब तेरा हो।
पढ़ती हूं बस वही आंखें,
जिसमें चेहरा सिर्फ़ मेरा हो।
.........

©आधुनिक कवयित्री

पलटती हूं पन्ने तेरे ख्वाबों के, जैसे हर ख़्वाब तेरा हो। पढ़ती हूं बस वही आंखें, जिसमें चेहरा सिर्फ़ मेरा हो। ......... ©आधुनिक कवयित्री

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