***************गजल********************
वज्न- 22 22 22 22 22 22
अरकान- 6 फेलुन या बारह रूकनी
नेता को तुम भगवान बनाए बैठे हो
उन को असल में शैतान बनाए बैठे हो
दुष्कर्म किया बच्ची का छूट गए पल में
क्यूं उन सब को हैवान बनाएं बैठे हो
लूटी बेटी जिंदा लाश बने घर वाले
नेताजी क्यूं शमशान बनाए बैठे हो
अपने ही रूप को मरवा देती नारी ही
भ्रूण हत्या कर मुस्कान बनाए बैठे हो
घृणा कर अपनी ही बेटी से हां तुम तो
जीवन उसका विरान बनाए बैठे हो
भारत का गौरव बन सकती थी वो बेटी
उस को मसल के बेजान बनाए बैठे हो
अन्नू हर ख्वाहिश कर बेटे की पूरी तुम
खुद का जीवन तूफान बनाएं बैठे हो
अंतिमा जैन'अनु'
©Antima Jain
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