अँधेरे को चीरने की महारत सीख ली है अब, निशाचरों बे | हिंदी शायरी

"अँधेरे को चीरने की महारत सीख ली है अब, निशाचरों बेखौफी से विचरना भूल जाओ अब ©Kamlesh Kandpal"

 अँधेरे को चीरने की महारत सीख ली है अब,
निशाचरों बेखौफी से विचरना भूल जाओ अब

©Kamlesh Kandpal

अँधेरे को चीरने की महारत सीख ली है अब, निशाचरों बेखौफी से विचरना भूल जाओ अब ©Kamlesh Kandpal

#bekhauf

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