यूँ तो कोई ग़म नहीं फ़िर भी मैं ख़ामोश रहता हूँ | हिंदी Poetry

"यूँ तो कोई ग़म नहीं फ़िर भी मैं ख़ामोश रहता हूँ तन्हाई रास आने लगी हैं बरसों बरस दूर रहा ख़ुद से  बस,अब मैं ख़ुद के साथ रहता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha"

 यूँ तो कोई ग़म नहीं

फ़िर भी मैं ख़ामोश रहता हूँ

तन्हाई रास आने लगी हैं

बरसों बरस दूर रहा ख़ुद से 

बस,अब मैं ख़ुद के साथ रहता हूँ

©हिमांशु Kulshreshtha

यूँ तो कोई ग़म नहीं फ़िर भी मैं ख़ामोश रहता हूँ तन्हाई रास आने लगी हैं बरसों बरस दूर रहा ख़ुद से  बस,अब मैं ख़ुद के साथ रहता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha

फ़िर भी

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