["मोहब्बत और रुसवाई"]
"ग़ालिब, क्यों एक ही सवाल उठता है बार-बार मेरे ज़हन में?
ग़ालिब, आखिर कौन चाहता है मोहब्बत में बार-बार रुसवा होना?"
©Mď Âĺfaž" ["Šĥªयरी Ķ. दिवाŇ."]
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