बोलो क्या..काफिर एक इंसान नहीं होता। करे भेद.. इंस | हिंदी कविता

"बोलो क्या..काफिर एक इंसान नहीं होता। करे भेद.. इंसान.. वो भगवान नहीं होता। करुणा दया प्रेम उपकार बिन जग है निस्सार, हैवानियत का..धर्म में ..फरमान नहीं होता॥ ©अलका गुप्ता 'भारती'"

 बोलो क्या..काफिर एक इंसान नहीं होता।
करे भेद.. इंसान.. वो भगवान नहीं होता।
करुणा दया प्रेम उपकार बिन जग है निस्सार,
हैवानियत का..धर्म में ..फरमान नहीं होता॥

©अलका गुप्ता 'भारती'

बोलो क्या..काफिर एक इंसान नहीं होता। करे भेद.. इंसान.. वो भगवान नहीं होता। करुणा दया प्रेम उपकार बिन जग है निस्सार, हैवानियत का..धर्म में ..फरमान नहीं होता॥ ©अलका गुप्ता 'भारती'

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