White * अब नहीं है* ----------- मेरे हिस्से में भ | हिंदी Poetry

"White * अब नहीं है* ----------- मेरे हिस्से में भी धूप थी बारिश की बूंद थी मगर अब नहीं है.... चलते चलते इतना थक गया हूं कि आगे बढ़ने की हिम्मत अब नहीं है.... गांव का इकलौता घर जिसकी अटारी आज भी नहीं है चहल-पहल उसमें भी थी मगर अब नहीं है.... जानवर सोने लगे हैं महंगे गाद्दो पर इंसानों के लिए जगह अब नहीं है.... ये हाथ में दिया लेकर क्या ढूंढ रहा है 'आलोक' उम्मीद की कोई किरण वहां अब नहीं है.... ** रियंका आलोक** ©Riyanka Alok Madeshiya"

 White * अब नहीं है*
-----------

मेरे हिस्से में भी धूप थी
बारिश की बूंद थी मगर
 अब नहीं है.... 

चलते चलते इतना थक गया हूं
कि आगे बढ़ने की हिम्मत
अब नहीं है.... 

गांव का इकलौता घर जिसकी 
  अटारी आज भी नहीं है
चहल-पहल उसमें भी थी मगर
अब नहीं है.... 

जानवर सोने लगे हैं महंगे गाद्दो पर
इंसानों के लिए जगह
अब नहीं है.... 

ये हाथ में दिया लेकर 
क्या ढूंढ रहा है 'आलोक'
उम्मीद की कोई किरण वहां
अब नहीं है.... 

  **   रियंका आलोक**

©Riyanka Alok Madeshiya

White * अब नहीं है* ----------- मेरे हिस्से में भी धूप थी बारिश की बूंद थी मगर अब नहीं है.... चलते चलते इतना थक गया हूं कि आगे बढ़ने की हिम्मत अब नहीं है.... गांव का इकलौता घर जिसकी अटारी आज भी नहीं है चहल-पहल उसमें भी थी मगर अब नहीं है.... जानवर सोने लगे हैं महंगे गाद्दो पर इंसानों के लिए जगह अब नहीं है.... ये हाथ में दिया लेकर क्या ढूंढ रहा है 'आलोक' उम्मीद की कोई किरण वहां अब नहीं है.... ** रियंका आलोक** ©Riyanka Alok Madeshiya

#abnahihai

People who shared love close

More like this

Trending Topic