एक अर्सा हुआ तुमसे मिलके,
क्या कहूँ,
रोज़ मर्रा की जद्दोजहद में,
कुछ यूं मसरूफ थी कि
तुम्हारा खयाल ही नहीं आया।
तुम को भी ignore होने की आदत हो गई है,
कभी कोई शिकायत नहीं की,
बस इन्तजार किया कि कभी तो मुझे फुर्सत मिलेगी,
और तुमसे एक बार पूछूंगी- कैसी हो? आज आइने के सामने खड़ी मैं...
©Shilpi Signodia
#WoRasta