मैने जब-जब लिखा
मेरे हाथ थरथराए,
आंखे जख्मी हुई
सीने की हर धड़कन लड़खड़ाई,
मेरे एक-एक शब्द से
मेरे भीतर रिस्ते घाव की
सीलन साफ महसूस हुई,
मैं जितना लिखती गई
स्वयं उतना मौन हुई,
मेरे लिए लिखना सदैव एक
जटिल प्रक्रिया रही,
मानो स्वयं के अंतःकरण को
फिर से कुरेदना,
जिसमे न जाने कितने
वसंत की परिपक्वता
और पतझड़ की सड़न
शामिल है।।
_Rभंडारी
©silent_Note
#ChaltiHawaa #Mere_alfaaz #Soul #hindisahitya