मां-बाप के बूढ़े होने पर...।। मां-बाप के बूढ़े होन | हिंदी कविता Video

"मां-बाप के बूढ़े होने पर...।। मां-बाप के बूढ़े होने पर, क्यों दुख पहुंचाए जाते हैं। धन दौलत के लिए उन्हें ,बांट दिये क्यों जाते हैं। मां बाप के बूढ़े ...। मां ने नींद गंवाई अपनी, सुख-चैन पिता ने खोया है। तब जाकर के कहीं तुम्हें,काबिल वो आज बनाया है। फिर *किया ही क्या है मेरे लिए*, ये उनको सुनाए जाते हैं। मां-बाप के बूढ़े...। संतानों की सुख की खातिर, अपने सुख को भुला दिया। अपने हिस्से की रोटी भी, हंसते हंसते खिला दिया। फिरआज भला क्यों उन पर ,एहसान जताए जाते हैं। मां-बाप के बूढ़े...। कमर झुकी ,तन दुर्बल है, आंखे भी अब कमजोर हुईं। समझ सहारा जिनको पाला, वो औलादें भी दूर हुईं। कौन करे सेवा अब इनकी, क्यों वृद्धाश्रम में डाले जाते हैं। मां-बाप के बूढ़े...। आंखें उनकी लाचार,सजल , प्रश्न यही अब करती हैं। क्या ऐसे ही दिन दिखलाने को,संतानें हमारी होती हैं। अनसुनी कर बातें उनकी,अब क्यों बेकार बताए जाते हैं। मां-बाप के बूढ़े...। ©नागेंद्र किशोर सिंह "

मां-बाप के बूढ़े होने पर...।। मां-बाप के बूढ़े होने पर, क्यों दुख पहुंचाए जाते हैं। धन दौलत के लिए उन्हें ,बांट दिये क्यों जाते हैं। मां बाप के बूढ़े ...। मां ने नींद गंवाई अपनी, सुख-चैन पिता ने खोया है। तब जाकर के कहीं तुम्हें,काबिल वो आज बनाया है। फिर *किया ही क्या है मेरे लिए*, ये उनको सुनाए जाते हैं। मां-बाप के बूढ़े...। संतानों की सुख की खातिर, अपने सुख को भुला दिया। अपने हिस्से की रोटी भी, हंसते हंसते खिला दिया। फिरआज भला क्यों उन पर ,एहसान जताए जाते हैं। मां-बाप के बूढ़े...। कमर झुकी ,तन दुर्बल है, आंखे भी अब कमजोर हुईं। समझ सहारा जिनको पाला, वो औलादें भी दूर हुईं। कौन करे सेवा अब इनकी, क्यों वृद्धाश्रम में डाले जाते हैं। मां-बाप के बूढ़े...। आंखें उनकी लाचार,सजल , प्रश्न यही अब करती हैं। क्या ऐसे ही दिन दिखलाने को,संतानें हमारी होती हैं। अनसुनी कर बातें उनकी,अब क्यों बेकार बताए जाते हैं। मां-बाप के बूढ़े...। ©नागेंद्र किशोर सिंह

# मां-बाप के बूढ़े होने पर...।

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