क्यूँ न कर ली जाए उससे आज मुद्दे की बात,
दस साल से सुनी है हमने जिसके मन की बात,
बताना तो जरा और कितने लोगों का विकास बाकी है,
दो दफा पहले भी मांग चुके हो, यूँ ही तुम सबका साथ,
विपक्ष के लोग भी सनातन संस्कृति से ताल्लुक रखते हैं,
क्यूँ ठगते हो भोले लोगों को, करके अक्सर राम की बात,
लोकतन्त्र का नाम न होगा, तानाशाही करेंगीं नंगा नाच,
अभी जाग गए तो ठीक है बरना सुनते रहना मन की बात,
©AB चौहान
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