रात गई दिन आया,ये भ्रम था
क्योंकि हम कभी जागे ही नहीं
खेल शुरू हुआ, हार भी हुई और जीत भी
ये भ्रम था
क्यूंकि हम खेल में भागे ही नहीं
हमें लगता रहा सुलझ रहे है हम,पर और उलझते रहे
ये भ्रम था
क्यूंकि हम पक्के धागे ही नहीं
हमे लगा खुश है हमसे सब , कद्र है हमारी
ये भ्रम था
क्योंकि किसी के हम कुछ अभी लागे ही नहीं
रात गई दिन आया,ये भ्रम था
क्योंकि हम कभी जागे ही नहीं
©Rohit Pepawat
#udaasi