दुनिया मे जो है कहीं किसी के दिल मे छिपा वो ख्याल है लेखक,
किसी के गुमनाम दर्द को जो बयाँ करे वो अल्फ़ाज़ है लेखक,
अपनी हज़ार कुर्बानियों को यूँ मुस्कुरा कर भूल जाए उसकी वो मुस्कान है लेखक,
जो अपने ही अंदर अपना ना रहे वो बेजान है लेखक,
जो बहती हवाओं से भी बात करे वो ज़ुबान है लेखक,
जो हर एहसास को बड़े मुस्कुराते हुए बता दे, वो लफ्ज़ है लेखक ।
यूँही नहीं हर कोई बन जाया करता लेखक,
दर्द मे जीकर शब्दों मे पिरोना पड़ता है, तब जा कर कोई बनता है लेखक।।
शायर सूर्यवंशी____
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©Shayar Suryavanshi
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