प्रातः काल दोहे (भाग - 31)
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भोर नमन माँ आपको, करे नित जोड़ हाथ।
हे माँ! माता शारदे, हरदम रहना साथ।।
कृष्ण बजाये बाँसुरी, बाल के ग्वाल बीच।
मुरली की ये मधुर धुन, लेती हमको खीच।।
चरण शरण में ध्यान हो, मुख पर हरि का नाम।
मार्ग मुक्ति का हैं यही , पावन हरि का धाम।।
©Uma Vaishnav
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