White महाकुंभ स्वर्ग का है जहां द्व | हिंदी कविता

"White महाकुंभ स्वर्ग का है जहां द्वार, जहां पवन गंगा की धार, संगम है जिसका उद्गम स्थान, जो है हर सनातनियों की पहचान . अमृत की बरसा होती जहां, तीर्थों का लग रहता रैला यहां, महाकुंभ का मेला जहां, धरा पर महादेव का धाम है जहां. साधु-संतों का सम्मान जहां, घाटों पर लगी कतार जहां , मोक्ष मिले वो धरती है यहां, है प्रयागराज नाम से सुशोभित, संगम तट जहां. ये संतों की धरती है, महानतों की धरती है, जहां का जल गंगा है, जहां मेरे भोलेनाथ का डंका है. ना जाने रहते कहां ये संत-महात्मा? ना जाने कैसे करते इतनी कठिन साधना? जब हो पावन कुम्भ का मेला, आते है सब यहां? कैसे रहते है परे भौतिक सुखों से, कितने जप-तप आध्यात्म बल से, कैसे करते है वे कठिन साधना, नमन है इनको अतः मन से🙏 इनके जप से ही संचालित है, सनातन धर्म हमारा, इनके तप से ही जीवित है, भारत भूमि हमारा, इनके कठिन साधना से ही दमित है, धर्म का तेज हमारा. जिस कुम्भ की गाथा गा रही, आज दुनिया सारी, गुत्थी को सुलझाने में लगे हैं, वैज्ञानिक सारे, सूर्य,वृहस्पति और धरती को एक स्थित में, आने को बारहा वर्षो के अंतराल का ज्ञान, ना जाने कितने वर्षों से जानती थी धरा हमारी🙏🙏 कुम्भ के स्नान में विधामान है ऊर्जा सारी, रोग दोष से मुक्त कर, मोक्ष द्वार का कपाट खोलती सारी, शिव की भक्ति में लीन होते ही, दुःखों से मिलती है मुक्ति सारी. हमारे सनातन संस्कृति की पहचान🔱🚩 महाकुंभ की हार्दिक शुभकामनाये🙏🙏 राशि🖋 ©Rashi"

 White    

         महाकुंभ

स्वर्ग का है जहां द्वार,
जहां पवन गंगा की धार,
संगम है जिसका उद्गम स्थान, 
जो है हर सनातनियों की पहचान .

अमृत की बरसा होती जहां,
तीर्थों का लग रहता रैला यहां,
महाकुंभ का मेला जहां,
धरा पर महादेव का धाम है जहां. 

साधु-संतों का सम्मान जहां,
घाटों पर लगी कतार जहां ,
मोक्ष मिले वो धरती है यहां,
है प्रयागराज नाम से सुशोभित,
संगम तट जहां.

ये संतों की धरती है,
महानतों की धरती है,
जहां का जल गंगा है,
जहां मेरे भोलेनाथ का डंका है.

ना जाने रहते कहां ये संत-महात्मा?
ना जाने कैसे करते इतनी कठिन साधना?
जब हो पावन कुम्भ का मेला,
आते है सब यहां?

कैसे रहते है परे भौतिक सुखों से,
कितने जप-तप आध्यात्म बल से,
कैसे करते है वे कठिन साधना,
नमन है इनको अतः मन से🙏

इनके जप से ही संचालित है,
सनातन धर्म हमारा,
इनके तप से ही जीवित है,
भारत भूमि हमारा,
इनके कठिन साधना से ही दमित है, 
धर्म का तेज हमारा.

जिस कुम्भ की गाथा गा रही,
आज दुनिया सारी, 
गुत्थी को सुलझाने में लगे हैं,
वैज्ञानिक सारे,
सूर्य,वृहस्पति और धरती को एक स्थित में,
आने को बारहा वर्षो के अंतराल का ज्ञान, ना जाने कितने वर्षों से जानती थी धरा हमारी🙏🙏

कुम्भ के स्नान में विधामान है ऊर्जा सारी,
रोग दोष से मुक्त कर,
मोक्ष द्वार का कपाट खोलती सारी,
शिव की भक्ति में लीन होते ही,
दुःखों से मिलती है मुक्ति सारी.

हमारे सनातन संस्कृति की पहचान🔱🚩 महाकुंभ की हार्दिक शुभकामनाये🙏🙏
                                        राशि🖋

©Rashi

White महाकुंभ स्वर्ग का है जहां द्वार, जहां पवन गंगा की धार, संगम है जिसका उद्गम स्थान, जो है हर सनातनियों की पहचान . अमृत की बरसा होती जहां, तीर्थों का लग रहता रैला यहां, महाकुंभ का मेला जहां, धरा पर महादेव का धाम है जहां. साधु-संतों का सम्मान जहां, घाटों पर लगी कतार जहां , मोक्ष मिले वो धरती है यहां, है प्रयागराज नाम से सुशोभित, संगम तट जहां. ये संतों की धरती है, महानतों की धरती है, जहां का जल गंगा है, जहां मेरे भोलेनाथ का डंका है. ना जाने रहते कहां ये संत-महात्मा? ना जाने कैसे करते इतनी कठिन साधना? जब हो पावन कुम्भ का मेला, आते है सब यहां? कैसे रहते है परे भौतिक सुखों से, कितने जप-तप आध्यात्म बल से, कैसे करते है वे कठिन साधना, नमन है इनको अतः मन से🙏 इनके जप से ही संचालित है, सनातन धर्म हमारा, इनके तप से ही जीवित है, भारत भूमि हमारा, इनके कठिन साधना से ही दमित है, धर्म का तेज हमारा. जिस कुम्भ की गाथा गा रही, आज दुनिया सारी, गुत्थी को सुलझाने में लगे हैं, वैज्ञानिक सारे, सूर्य,वृहस्पति और धरती को एक स्थित में, आने को बारहा वर्षो के अंतराल का ज्ञान, ना जाने कितने वर्षों से जानती थी धरा हमारी🙏🙏 कुम्भ के स्नान में विधामान है ऊर्जा सारी, रोग दोष से मुक्त कर, मोक्ष द्वार का कपाट खोलती सारी, शिव की भक्ति में लीन होते ही, दुःखों से मिलती है मुक्ति सारी. हमारे सनातन संस्कृति की पहचान🔱🚩 महाकुंभ की हार्दिक शुभकामनाये🙏🙏 राशि🖋 ©Rashi

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