मूल्य किसी सर्द रात में बिस्तर पर रजाई ओढ़े व्यक् | हिंदी विचार

"मूल्य किसी सर्द रात में बिस्तर पर रजाई ओढ़े व्यक्ति को कंबल का कोई महत्व नहीं होता परंतु कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पे लेटे इंसान से पूछो तो वो उसका मूल्य जानता है । चिलचिलाती धूप में AC मे बैठे व्यक्ति को फ्रिज के ठंडे पानी का कोई महत्व नहीं होता पर लू में पैदल निकले इंसान से पूछो तो उसे जल की एक एक बूंद का मूल्य मालूम होता है । उसी तरह घर में पुरुष जब तक होता है उसका महत्व किसी को नहीं होता । वो उम्मीद और ज़िम्मेदारी के दुपहिया वाहन पर उम्र का बिना कोई मील का पत्थर देखे चलता जाता है और चलते चलते एक दिन उसके जीवन का ईंधन खत्म हो जाता है और वो थम जाता है । तब इर्द गिर्द लोगों को , नजदीकी सदस्यों को उसका मूल्य पता चलता है । अक्सर चीजों का मूल्य तभी महसूस होता है जब उनका अभाव होता है ! किसी की मौजूदगी उसी को आनंद दे सकती है जिसने किसी को खोया हो । ©Pratyush Saxena"

 मूल्य

किसी सर्द रात में बिस्तर पर रजाई ओढ़े व्यक्ति को कंबल का कोई महत्व नहीं होता परंतु कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पे लेटे इंसान से पूछो तो वो उसका मूल्य जानता है ।

चिलचिलाती धूप में AC मे बैठे व्यक्ति को फ्रिज के ठंडे पानी का कोई महत्व नहीं होता पर लू में पैदल निकले इंसान से पूछो तो उसे जल की एक एक बूंद का मूल्य मालूम होता है ।

उसी तरह घर में पुरुष जब तक होता है उसका महत्व किसी को नहीं होता ।

 वो उम्मीद और ज़िम्मेदारी के दुपहिया वाहन पर उम्र का बिना कोई मील का पत्थर देखे चलता जाता है और चलते चलते एक दिन उसके जीवन का ईंधन खत्म हो जाता है और वो थम जाता है ।

तब इर्द गिर्द लोगों को , नजदीकी सदस्यों को उसका मूल्य पता चलता है । अक्सर चीजों का मूल्य तभी महसूस होता है जब उनका अभाव होता है !

किसी की मौजूदगी उसी को आनंद दे सकती है जिसने किसी को खोया हो ।

©Pratyush Saxena

मूल्य किसी सर्द रात में बिस्तर पर रजाई ओढ़े व्यक्ति को कंबल का कोई महत्व नहीं होता परंतु कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पे लेटे इंसान से पूछो तो वो उसका मूल्य जानता है । चिलचिलाती धूप में AC मे बैठे व्यक्ति को फ्रिज के ठंडे पानी का कोई महत्व नहीं होता पर लू में पैदल निकले इंसान से पूछो तो उसे जल की एक एक बूंद का मूल्य मालूम होता है । उसी तरह घर में पुरुष जब तक होता है उसका महत्व किसी को नहीं होता । वो उम्मीद और ज़िम्मेदारी के दुपहिया वाहन पर उम्र का बिना कोई मील का पत्थर देखे चलता जाता है और चलते चलते एक दिन उसके जीवन का ईंधन खत्म हो जाता है और वो थम जाता है । तब इर्द गिर्द लोगों को , नजदीकी सदस्यों को उसका मूल्य पता चलता है । अक्सर चीजों का मूल्य तभी महसूस होता है जब उनका अभाव होता है ! किसी की मौजूदगी उसी को आनंद दे सकती है जिसने किसी को खोया हो । ©Pratyush Saxena

Moolye

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