मुरझा गया मैंने दिया था जो गुलाब
अच्छा लगा था प्लास्टिक का तो गुलाब
ये देख कर तुझको नहीं आया समझ
काँटा नहीं है साथ में देखो गुलाब
गहरा बनेगा घाव दिल पर और भी
हर रोज़ दोगे इश्क में जिसको गुलाब
सच्चा नहीं कोई यहाँ अच्छा वही
जो सामने से आके दे मुझको गुलाब
"Dharmendra Barot"
©Dharmendra Barot
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