*त्रुटि रहित न मैं हूँ, न तुम हो,*
*दोनों मनुष्य हैं, भगवान*
*न मैं हूँ, न तुम हो।*
*परस्पर हम दोष देते हैं, एक*
*दूसरे को, पर अपने अंदर*
*झाँकता न मैं हूँ,न तुम हो।*
*भ्रम ने पैदां कर दी इंसानों में*
*दूरियाँ, पर सच में बुरा*
*न मैं हूँ, न तुम हो..*
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༺꧁ *शुभ प्रभात* ꧂༻
©Thakur singh.