उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जं | हिंदी Sad

"उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गये बस एक प्यार करने की इतनी बड़ी सजा भरोसा करना कब हुआ इतना बड़ा गुनाह दिल भी मेरा टूटे ,दुख भी मेरे हिस्से , क्या खुदा तुम भी मुख मोड़े खड़े हो गये ©shayariwaladoctor"

 उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये
कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गये
 बस एक प्यार करने की इतनी बड़ी सजा भरोसा करना कब हुआ इतना बड़ा गुनाह 
दिल भी मेरा टूटे ,दुख भी मेरे हिस्से , क्या खुदा तुम भी मुख मोड़े खड़े हो गये

©shayariwaladoctor

उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गये बस एक प्यार करने की इतनी बड़ी सजा भरोसा करना कब हुआ इतना बड़ा गुनाह दिल भी मेरा टूटे ,दुख भी मेरे हिस्से , क्या खुदा तुम भी मुख मोड़े खड़े हो गये ©shayariwaladoctor

उलझनों के बीज जो बोके गया वो आज काँटों वाले घने जंगल हो गये
कोई खुशी की रोशनी तक मेरी खिड़की पर नही पहुँचे सारे बादल एक साजिश में खड़े हो गये
बस एक प्यार करने की इतनी बड़ी सजा भरोसा करना कब हुआ इतना बड़ा गुनाह
दिल भी मेरा टूटे ,दुख भी मेरे हिस्से , क्या खुदा तुम भी मुख मोड़े खड़े हो गये

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