ना डरकर गिरेंगे ना मरकर गिरेंगे, जहाँ भी गिरेंगे स | हिंदी Shayari

"ना डरकर गिरेंगे ना मरकर गिरेंगे, जहाँ भी गिरेंगे संभलकर गिरेंगे, झटक दूँ अगर आस्तीन आज भी मैं, कई सांप अब भी निकलकर गिरेंगे। ©Krishan Gopal Solanki"

 ना डरकर गिरेंगे ना मरकर गिरेंगे,
जहाँ भी गिरेंगे संभलकर गिरेंगे,
झटक दूँ अगर आस्तीन आज भी मैं,
कई सांप अब भी निकलकर गिरेंगे।

©Krishan Gopal Solanki

ना डरकर गिरेंगे ना मरकर गिरेंगे, जहाँ भी गिरेंगे संभलकर गिरेंगे, झटक दूँ अगर आस्तीन आज भी मैं, कई सांप अब भी निकलकर गिरेंगे। ©Krishan Gopal Solanki

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