चलते रहना नियम है प्रकृति का
और व्यर्थ है रुककर इंतज़ार करना भी
क्योंकि
अलग रास्तों पर चलने वाले
कभी हमसफ़र नहीं हो सकते।
(read caption..)
©Kumar Divyanshu Shekhar
यूँ ही अचानक
साल भर बाद
मेरे पते पर
तुम्हारा खत पहुँचना
जैसे सोती रात में
नीरव खड़े तालाब में
हवा को चीरता गिर आया हो
कोई उल्का पिंड।