मुगल-अराती-झंझा में अनघ-अडिग भूधर समा, था स्वाभिम | हिंदी कविता

"मुगल-अराती-झंझा में अनघ-अडिग भूधर समा, था स्वाभिमान का चंद्रालोक न हुई स्वातन्त्र्य की अमा। सांध्यगीत"

 मुगल-अराती-झंझा  में
अनघ-अडिग भूधर समा,
था स्वाभिमान का चंद्रालोक
न हुई स्वातन्त्र्य की अमा।

सांध्यगीत

मुगल-अराती-झंझा में अनघ-अडिग भूधर समा, था स्वाभिमान का चंद्रालोक न हुई स्वातन्त्र्य की अमा। सांध्यगीत

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