"White क्या करना है मेल मिला के
क्या मिलना है बातें करके..
तुम हो आती हवा सुरों सी,
मैं हूं वंशी छेद लिए सीने पे..
दिनभर थक कर मैं आता हूं
सोच मिलेगी शांति मन की..
हरकतें तुम्हारी उल्टी सीधी
मेरा मन झुंझला जाती हैं..
शीत हवा सी बनके मुझको
थोड़ा तो सहला जाओ ना
डरी सहमी आंखों को तुम
कुछ तो राहत दे जाओ ना
फिर यूं न हो मैं चला ही जाऊं
नित पुकारो फिर लौटूं भी न
मेरी खामोशी न गूंजे तेजी से
खामोशी को पढ़ जाओ ना..😕😕
©shivam chandra"