तुम हर वो पढ़ी हुयी किताब हो ...
हर कहे अनकहे अल्फ़ाज़ हो ..
तुम हर सुबह की चहचहाहट हो...
हर वो छुपी हुयी मुस्कुराहट हो....
तुम हर हँसी में शामिल कोई मिठास हो,
बहते हुए हर आंसू का एहसास हो.,
तुम गुनगुनाया हुआ हर वो गीत हो..
तुम तो रात के सन्नाटे का भी संगीत हो..
तुम घुमी हुयी हर वो जगह हो..
और तुम ही घर आने की असल वजह हो...
तुम खुद में ही आत्मविश्वास हो,
और खुद ही प्यार का आभास हो..
तुम घर के हर कोने की तस्वीर हो..
हर एक ख़्वाब का तुम ही तो ताबीर हो!
Happy women's Day
©Jotush
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