"स्मृतियों में हो रहा भाव विह्वल
आपकी कविताओं से देखूँ कल
हे प्रखर प्रवीण प्रण अटल
आज छंदों के सुर भी शोकाकुल।
सहज सौम्य अडिग अटल,
क्यों जगति को कर गए विकल।
आप दिव्य हैं दिवंगत नहीं
अजातशत्रु से कौन अवगत नहीं।
✍मन्मंथ"
स्मृतियों में हो रहा भाव विह्वल
आपकी कविताओं से देखूँ कल
हे प्रखर प्रवीण प्रण अटल
आज छंदों के सुर भी शोकाकुल।
सहज सौम्य अडिग अटल,
क्यों जगति को कर गए विकल।
आप दिव्य हैं दिवंगत नहीं
अजातशत्रु से कौन अवगत नहीं।
✍मन्मंथ